मंदिर |बड़ी पटन देवी / छोटी पटन देवी / पटना BARI PATAN DEVI|CHOTI PATAN DEVI MANDIR|TEMPLE |PATNA

बड़ी पटन देवी मंदिर 

                बड़ी पटन देवी / छोटी पटन देवी / पटना के मंदिर 

बड़ी पटन देवी। छोटी पटन देवी का मंदिर बिहार की राजधानी पटना मे है।पटन देवी पौराणिक काल से विश्वविख्यात है, जहां हजारे श्रद्धालु माता के दर्शन करने, आशीर्वाद  प्राप्त करने हर दिन आते हैं।पटन देवी मंदिर 51शक्तिपीठों में से एक है।

पटना को पहले पाटलिपुत्र, मगध इत्यादि नाम जाना जाता था। सन् 1912 से पटन देवी माता के  मशहुर मंदिर के कारण बिहार के राजधनी के रूप में शहर का नाम पटना रखा गया है।

मान्यता है कि पटन देवी मंदिर पटना की रक्षा करती हैं |  जिसके कारण इन्हें 'रक्षिका भगवती पटनेश्वरी, " पटनेश्वरी कहा जाता हैं |इन्हें 'माँ सर्वानंद कारी पटनेश्वरी' भी कहा जाता हैं।

बड़ी पटन देवी मंदिर प्रसिद्ध सिख गुरुद्वारा,हरि मंदिर साहिब के नजदीक है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती  के पिता दक्ष प्रजापति एक यज्ञ करवा रहे थे। जिसमे राजा दक्ष प्रजापति से अपने पुत्री सती के पति भगवान शिव जी का अपमान हो गया।

अपने पति के अपमान से देवी सती को बहुत गुस्सा आ गया और अग्नि में कुद कर उन्होंने अपना जीवन समाप्त कर दिया। जब महादेव जी को यह जानकारी मिली तो वे अपनी पत्नी 'सती' के मौत से बहुत क्रोधित हो गए।

यज्ञ स्थान पर पहुंचकर भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति के सर को छड़ से अलग कर दिया,और सती जी के मृत शरीर को हाथों में लेकर क्रोध से भयंकर तांडव प्रारंभ कर दिया।इससे पूरे ब्रह्मांड में भय व्याप्त हो गया।

 सभी देवता संसार की रक्षा हेतु प्रयास करने लगे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली | तब सभी देवताओं ने विष्णु भगवान से शिवजी के गुस्से को शांत करने के लिए प्रार्थना किया।संसार की रक्षा हेतु और सभी देवताओं के प्रार्थना से भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मृत माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए जो संसार की अलग-अलग स्थानों पर गिरे।

पुराणों के अनुसार माता सती के 51 टुकड़े हो गए और अलग-अलग स्थानों पर गिरे| जहां जहां शरीर के भाग पहुंचे वहां वहां शक्तिपीठ बन गए। शक्ति प्राप्त करने का स्थान हो गया| वहां देवी का वास  स्थान हो गया, दुर्गा मां का निवास हो गया| वह स्थान जागृत हो जाता है ,पूजा और उपासना से यहां शक्ति एवं मनोबांछित वर प्राप्त होता है।

पटना में देवी सती का दाहिना जांघ और पाटा एवं कपड़ा गिरा था। यहां बड़ी पटन देवी और छोटी पटन देवी मंदिर है। छोटी पटन देवी मंदिर, बड़ी पटन देवी मंदिर, से दो-तीन किलोमीटर पूर्व में स्थित है।

एक मान्यता है कि पाटन देवी मंदिर का नाम माँ सती के पाट से लिया गया। यहां बड़ी पटन देवी और छोटी पटन देवी मंदिर हैं।

मंदिर का वर्णन

इस मंदिर के पीछे बहुत बड़ा गड्ढा है जिसे 'पटन देवी खंदा' कहा जाता है। मान्यता है कि इसी खंदा से मां की तीन मूर्तियां प्रकट हुई थी | ऐ मूर्तियां मंदिर में विराजमान है और सतयुग की है।

          बड़ी पटन देवी मंदिर में गर्भ गृह के अंदर महालक्ष्मी,महाकाली और महासरस्वती की मूर्तियां स्वर्ण आभूषणों ,छत्र एवं चंवर के साथ सिंघासन पर विराजमान है|  इसके अलावा शिव के अंश व्योग भैरव के मूर्ति भी है।

गर्भगृह के ठीक सामने एक बड़ा हवन कुंड है जहां इसकी अग्नि में लगातार हवन सामाग्री समर्पित होते रहती हैं। मान्यता है कि इसमें दी जाने वाली स्थान सामाग्री सीधे भूगर्भ में थली जाती है।

हवन कुंड


यह मंदिर प्राचीन काल से हजारों करोड़ों लोगों के आस्था का मंदिर है।

वैसे तो हर दिन माता आशीर्वाद देती हैं परंतु मंगलवार, शनिवार को बहुत ज्यादा भक्त आशीर्वाद प्राप्त करने जाते हैं।हर दिन हजारों भक्त माता के दरबार में आते हैं, परन्तु मंगलवार,शनिवार, नवरात्रि में भक्तों की भीड़ बहुत ज्यादा होती है।

नवरात्री के महासप्तमी को महानिशा पूजा, महाअष्ट्मी को महागौरी और नवमी को सिद्धिदात्री देवी की पूजा होती है। विजयादशमी को अपराजिता पूजन, अस्त्र शस्त्र की पूजा और शांति पूजन किया जाता है।

                                                           पूजा की विधि 

यहाँ वैदिक और तांत्रिक विधियों से  पू‌जा होती है। वैदिक पूजा सार्वजनिक होती हैं।तांत्रिक पूजा भगवती की पूजा-मंदिर के पट बंद रहने पर 10 मिनट के लगभग की होती है।

यह मंदिर कालिक मंत्र की सिद्धि के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

माँ की पूजा सिन्दूर, चुनरी ,साडी श्रृंगार के सामग्री प्रसाद, फूलों से की जाती है। यहाँ नारियल चढाने का प्रचलन है। माँ को लाल उड़हुल का फूल बहुत पसंद है तो लाल उड़हुल के फूल और माला चढ़ाया जाता है।भजन किर्तन किया जाता है और आरती  उतारी जाती है| 

माँ के शक्ति एवं दयालुपन को बातने के लिए कोई शब्द नहीं है| 

सच्चे मन से किया गया पूजा से मां प्रसन्न होती है और मनोवांछित फल देती है, मनोकामनएं पूर्ण करती हैं।

                            मंदिर खुलने का समय 

यह मंदिर प्रत्येक दिन सुबह 6 बजे से रात 10 बजे मंदिर तक सभी के लिए खुला रहता है। दोपहर 12- 02 बजे तक पट बंद रहता है।

                           मंदिर पहुंचने का रास्ता 

     पटना शहर वायु मार्ग ,रेल और सड़क मार्ग से हर जगह से जुड़ा है |पटना जंक्शन से लगभग 10 किलोमीटर और एयरोड्राम से लगभग 15 किलोमीटर दूर यह मंदिर विरजमान है। शहर में हमेशा  कार,टैक्सी और रिक्शा इत्यादि हर वक्त उपलब्ध होता है। 

इन्हें भी देखें

 https://knowledge-festival.blogspot.com/2022/05/janki-navami.html

https://knowledge-festival.blogspot.com/2022/04/2022-hanuman-janmotsav-2022.html 

बाह्रय स्त्रोत: https://en.wikipedia.org >Patan-Devi 

https:// hi.wikipedia.org >wiki/Patan-Devi 

https:// tourism. bihar.gov.in>Patan

https://www.jagran.com >spiritual 

https://www.timesnowhindi.com >spirituality   

 

 

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