हिन्दी| कब कैसे क्यू मकर संक्रांति | हिन्दू पर्व |

                           मकर संक्रांति 

मकर संक्रांति भारतवर्ष का एक महत्वपूर्ण पर्व है इस दिन तिल गुड़ की बनी मिठाई खाने और बाटने का रिवाज़ है | देश के अलग अलग भाग में इसे अलग अलग नाम से जाना जाता है | इसे तिल संक्रांति ,उत्तरायण और खिचड़ी भी कहा जाता है | 

                             मकर संक्रांति कब मनाया जाता है ?

हर हिन्दू पर्व की तरह ही मकर संक्रांति को मनाने की तारीख में भी संसय हो जाता है | परन्तु हर साल की तरह इस साल भी १ ४ जनवरी को मनाया जाएगा | 

इस साल मकर संक्रांति  हिन्दू पंचांग के अनुसार  १ ४ जनवरी ,दिन शुक्रबार और हिन्दू मास के पौष माह की शुक्ल पच्छ  की द्वादशीं  को  मनाया जाना है  |

पुण्य काल मुहुर्त चौदह जनवरी  को दोपहर दो बजकर  बारह मिनट से शाम पांच बजकर  पैतालीस मिनट है | 

                                   मकर संक्रांति का महत्व 

ज्योतिष गणना के अनुसार हर वर्ष बारह संक्रांतिया  होती है | इसमें मकर संक्रांति का खास महत्व है | इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है और उत्तरायण  होना  शुरु हो जाते है | इसी कारण मकर संक्रांति को उत्तरायण  भी कहा जाता है | इस दिन से दिन धीरे धीरे  बढने लगता है और रात छोटी होने लगती है | कहावत है की इस दिन से दिन तिल कर तिल बढने लगता है| इसी कारण मकर संक्रांति के दिन तिल दान करने का खास महत्व है | मकर संक्रांति से ही ऋतु बदलने लगता है | शरद ऋतु  का अंत होने लगता है और वसंत ऋतु  प्रांरभ होने लगता है,मौसम गर्म होने लगता है | 

                             मकर संक्रांति क्यू मनाया जाता है ? 

एक पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन सूर्य  भगवान अपने पुत्र शनि देव के घर जाते है |  शनि देव को मकर  एवं कुम्भ का स्वामी माना जाता है | पिता पुत्र  के इस अनोखे मिलान के याद मे यह पर्व मनाया जाता है | 

एक अन्य कथा के अनुसार इसी दिन विष्णु   भगवान ने पृथ्वी पर असुरो का संहार किया  था तभी से इस जीत कि खुसी मे मकर संक्रांति  पर्व मनाया जाता है | 

एक अन्य विचार के अनुसार देश के कई भागों मे नई फसल कट जाता है | नई फसल का चूड़ा एवं अन्य पकवान खाया जाता है और  भगवान का  आभार प्रकट किया जाता है | 

                              मकर संक्रांति कैसे मनाया  जाता है ?

इस दिन सूर्य भगवान एवं उनके  पुत्र शनि देव के उपासना का विशेष महत्व है | सूर्य भगवान ग्रहों के राजा है ,उनको प्रसन्न  करने के  लिए तिल  एवं अन्य सामाग्री दान करने का खास महत्व है | सूर्य भगवान प्रसन्न  होने पर सुख, शांति शक्ति धन एवं  यश प्रदान करते है | 

शनि देव की उपासना प्रकाश दान करके किया जाता है | 

मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का भी प्रचलन है | 

कोई भी पर्व स्वादिस्ट भोजन के बिना पुरा नहीं होता है ,तो इस पर्व मे भी  कई तरह के स्वादिस्ट पकवान बनाने एवं खाने का प्रचलन है | इस दिन खास कर खिचड़ी खाने का प्रचलन है | 

इतनी जानकारी होने के बाद आइए हम मकर संक्रांति पर्व  को कोविड १ ९ के रोक थाम के मानको का अनुपालन  करते हुए स्वादिस्ट पकवान के साथ मनाएं | 

                                   शुभ मकर संक्रांति  

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