2022 Satuani 14 April| २०२२ सतुआनी

Satu, piaz, and bari

                                 २०२२ सतुआनी|  विशुआ | जूरी शीतला |2022 Satuani | vishua 

Table of contents

1. सतुआनी कब मनाया जाता है

2.सतुआनी कँहा  मनाया जाता है

3.सतुआनी का कई नाम 

4.सतुआनी का  इतिहास

5.सतुआनी के पौराणिक कथा

6.सतुआनी    का महत्व 

                                                   सतुआनी  कब मनाया जाता है

भारतवर्ष में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं, सतुआनी का त्योहार उनमें बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है |  सतुआनी का त्योहार हर वर्ष  चैत्र माह के शुक्ल  पक्छ के त्रयोदशी  दिवस को मनाया जाता है | इस वर्ष २०२२  में सतुआनी 1४   अप्रैल २०२२  को मनाया  जाना है | सतुआनी  के दूसरे दिन सिरुआ या जुड़ी -शीतला या वासी व्रत  के रूप में मनाया जाता है | इस वर्ष २०२२  में सिरुआ या जुड़ी -शीतला या वासी व्रत १५ अप्रैल २०२२ को  मनाया जायेगा |                                               

2022 में भी हर साल की तरह सतुआनी 14 अप्रैल को मनाया जाना है | 14 अप्रैल को विष्णुपदी संक्रांति है | इस दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार बैसाख मास के प्रवर्ति होती है | हिन्दू मान्यता के अनुसार सूर्य भगवान उत्तरायण के आधी दुरी तय केर लेते है | मेष संक्रांति के दिन सूर्य मेष ( Aries )  zodac sign में प्रवेश करते है | यह सोलर साइकिल का पहला दिन होता है जिसे मेष संक्रमण या हिन्दू मान्यता के अनुसार नया  सूर्य वर्ष कहा जाता है |  

                                                     सतुआनी कँहा  मनाया जाता है 

 सतुआनी  पुरे भारतवर्ष में  मनाया जाता है | इसके आलावा नेपाल वर्मा भूटान इत्यादि देशों में भी बहुत धूम धाम से मनाया जाता है | विदेशों में रहने बाले भारतवासी अपने देशों में धूम धाम से  सतुआनी मनाते है | सतुआनी  अलग अलग प्रदेश में  अलग अलग नाम और ढंग से मनाया जाता है | 

                                                      सतुआनी का कई नाम 

सतुआनी  के कई नाम हैं जैसे की: 

बैसाखी - सिख नव वर्ष 

मेष संक्रंति 

विशु -केरला नव वर्ष 

जुड़ शीतला -मैथली नव वर्ष 

मोंगा विहु - आसामी नव वर्ष 

पुथांडु - तमिल नव वर्ष 

                                             सतुआनी कैसे  मनाया जाता है

सतुआनी  अलग अलग प्रदेश में  अलग अलग नाम और ढंग से मनाया जाता है | इस समय खरीफ फसल खतों से घर आ जाता है ,इसी नई फसलों का स्वादिष्ट पकवान बनाया जाता है | आम मे नई फसल आते है ,इस आम को बिहार झारखण्ड इत्यादि जगहों पर टिकोला कहा जाता है ,इसको लोग खाते हैं |  लोग सुबह में स्थानीय नदी, झरना या घर में ही स्नान कर फसलों के देवता का स्मरण ,पूजा ,अर्चना दान ध्यान करतें हैं |  स्थानीय नदी, झरना पे भीड़ लग जाती है इस स्थान पर मेला लगता है|  जिससे स्थानीय व्यापारी बाजार  लगते  है ,और लोग जरुरत के सामान खरीदते हैं | खास कर मिटी से बने घड़ा, सुराही लोग खरीदते हैं |कुम्हार के द्वारा तैयार किया हुआ सामान बिकने से उनका व्यापार चलता है | 

मिटी से बने घड़ा, सुराही में पानी रखा जाता है ,जिस से पानी ठंडा होता है | इसका स्वाद फ्रिज में रखे प्लास्टिक के बोतल में रखे पाने से ज्यादा अच्छा होता है ,यह स्वास्थबर्धक  भी होता है | 

अलग अलग प्रदेशों  में  अलग अलग नाम और ढंग स्वादिष्ट पकवान बनाया जाता है और लोग अलग ढंग   से मनातें  है | नई फसलों का स्वादिष्ट पकवान बनाया जाता है, सत्तू ,  टिकोला  खायी जाती है और दान किया जाता है | सतुआनी  में सत्तू दान का बहुत महतब है | सब जगहों पर बहुत धूम धाम से  सतुआनी मनाते है| कई जगहों पर पतंगबाजी के परंपरा है, जो देश विदेश में मशहूर है | ज़ुरा- शीतला में ताम्बा के बर्तन में पकवान रख दिया जाता है ,जिसे दूसरे दिन खाया जाता है|  पकवान बासी  करके खाया जाता है ,ऐसी मान्यता है कि उस दिन बासी खाने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है  | ज़ुरा- शीतला मैथली में पुरे उत्साह के साथ मनाया जाता है | 

                                                            सतुआनी का  इतिहास

सतुआनी कब से शुरु हुआ इसके बारे में ठीक से पता नहीं है और न ही कोई पौराणिक कथा भी ज्ञात नहीं है | 

                                     तो आइए हमलोग मिलकर सतुआनी मनाते है| 

                                                    HAPPY SATUANI 

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