वट सावित्री व्रत| 2024 | हिन्दी|Vat Savitri Puja 2024
वट सावित्री व्रत| 2024 | हिन्दी|Vat Savitri Puja
इस लेख में हम वट सावित्री व्रत के विषय में बहुत कुछ
जानेंगे | वट सावित्री व्रत कब मनाया
जाता है,इसका महत्व एवं बहुत
कुछ | आने वाले पीढ़ी को भारतीए त्योहारों एवं अपने उत्सवों के विषय में
जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है |
KEY WORD:'ताड के पंखे' |कच्चा सुता|अछय-वट | त्रिदेव |भगवान
विष्णु |शिव |यमराज|सावित्री|सत्यवान|अखंड|सौभाग्यवती|पतिव्रता
Table of
contents
1. वट सावित्री व्रत कब मनाया जाता है
2.वट सावित्री व्रत कँहा मनाया जाता है
3.वट सावित्री व्रत कैस मनाया जाता है
5.वट सावित्री व्रत के पौराणिक कथा
6.वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत कब मनाया जाता है
वट सावित्री व्रत जेठ माह के अमावस्या को मनाई जाती है | इस वर्ष जेठ माह के कृष्ण की अमावस्या ५ जून शाम को रात 0७ बजकर ५4 मिनट से शुरु होकर ०६ जून के शाम 0६ बजकर ०७ मिनट पर समाप्त होगा | उदयातिथि ,के कारण यह व्रत को०६ जून गुरुवार को मनाया जायेगा|
हिन्दू परंपरा में शादी शुदा स्त्रियाँ अपने पति
के लम्बी उम्र एवं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत करती है| शादी शुदा स्त्रियाँ का यह बहुत महत्ब्पूर्ण पर्व है | यह खासकर शादी शुदा स्त्रियाँ अपने पति के लम्बी उम्र एवं
सुखद वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत करती है,इसके साथ साथ अपने परिवार के
सुख शांति के लिए भी कामना करते है |
वट वृक्ष के पूजन का महत्ता है | पौराणिक मान्यता के अनुसार वट वृक्ष के जड़ में भगवानब्रम्हा का निवास होता है ,तने में भगवान विष्णु और शाखाओ में भगवान शिव का वास होता है | हिन्दू धर्म के त्रिदेव का यह निवास
है | इस पेड़ के लटकती डालियों को सावित्री का रूप माना जाता है | त्रिदेव का यह निवास होने के कारण इस वृक्ष का पूजा होता है |
वट वृक्ष बहुत लंबे समय तक अछय रहता है ,जिसके कारण इसे 'अछय-वट 'भी कहा जाता है |
वट सावित्री व्रत कँहा मनाया जाता है
वट सावित्री व्रत खास कर बिहार ,उतरप्रदेश मध्यप्रदेश में मनाया जाता है |
वट सावित्री व्रत कैस मनाया जाता है
शादी शुदा स्त्रियाँ प्रातः काल में स्नान करके नए वस्त्र पहन कर ,खाली पेट, धूप दीप जलाकर ,फूल ,फल ,मिट्ठाइयो चढ़ाकर वट वृक्ष का पूजन सच्चे मन से करतीं है | | वट वृक्ष के जड़ में जल डालें | पूजा अर्चना के बाद हाथ में भीगा चना लेकर सात बार वट वृक्ष का परिक्रमा करें | परिक्रमा करते हुए, कच्चा सुता लेकर सात बार वट वृक्ष के तने में लपेटे | कुछ प्रसाद वट वृक्ष के जड़ के पास समर्पित करें |
प्रसाद घर लाकर परिवार के सदस्यों में ,एवं आस पड़ोस में वितरित किया जाता है | इस दिन 'ताड के पंखे' से पत्नियाँ अपने पति को पंखा झल कर प्रसाद खिलाती है |
वट सावित्री व्रत के पौराणिक कथा
वट सावित्री व्रत कब से प्रारम्भ हुआ इसका कोई
प्रामाणिक प्रमाण नही ज्ञात है| सावित्री सत्यवान की कथा लोक कथा है |
कई स्थान पर वट वृक्ष के पास पंडित जी आ जाते है | और सावित्री सत्यवान की कथा
सुनते है | कथा का सारांश यह है की,सावित्री की शादी सत्यवान से हुई | सावित्री ,मन्द्रादेस के राजा अस्वपति की पुत्री थी | विवाह के बाद ज्ञात हुआ की सत्यवान की मौत एक वर्ष में
ही हो जाएगी | परन्तु सावित्री ने दिल छोटा नहीं किया ,और अपने पति के सेवा में रहती थी |
तय समय में सत्यवान की मौत हुई ,यमराज जब सत्यवान को ले जाने लगे तब सावित्री भी साथ जाने लगी | यमदूतों ने उसे रोकने के
कोशिश की परन्तु वह नहीं मान रही थी,उसने कहा मैं जिन्दा नही जा
सकती तो मुझे भी मार दो और ले चलो | सावित्री के पतिव्रता के तेज को देख कर यमराज बहुत खुश हुए |
परन्तु सत्यवान के मौत को रोकना मुमकिन नहीं था। यमराज ने उससे खुस होकर एक वरदान मांगने को कहा |
सावित्री ने जल्दी से पुत्रवती होने का वरदान
माँगा | यमराज ने कुछ और मांगने का कहा ,लेकिन वह नहीं मानी अंत में यमराज ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया| जिसके कारण यमराज ने सत्यवान के प्राण वापस कर दिए
|सत्यवान फिर से जिन्दा ही गए |
सावित्री ने अपने पतिव्रता के तेज से सत्यवान को मौत के मुँह से वापस पा लिया था और अखंड
सौभाग्यवती हुई | सावित्री-सत्यवान की कहानी पतिव्रता के तेज को बताता है |
वट सावित्री व्रत का महत्व
इस व्रत से पति पत्नी में प्यार बढ़ता है | बाहर रहने वाले लोग ,बाहर काम करने वाले अपने घर वापस आते
हैं ,पुरे परिवार के साथ व्रत मना कर वापस लौटते है | इससे संबंध
मजबूत होते है |
इस व्रत में नए वस्त्र
पहनने का रिवाज़ है | इससे कपड़े का बाजार में काफी चहल पहल रहती है | ताड के पंखे का भी बिक्री होती है ,जिससे ताड के पंखे बनाने वालों का अच्छा व्यापार हो जाता है | इस बिजली के युग में हाथ के पंखे का अपना महत्ब है |
खाने ,पीने ,फल ,फूल और मिष्ठान की काफी बिक्री होती है | इस व्रत से व्यापार जगत में काफी मुनाफा होता है|
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