2024 कबीर दास जयंती | कब | Kabir Das Jyanti २०२4 |

 


       2024 कबीर दास जयंती | कब | Kabir Das Jyanti २०२4

इस लेख में  कबीर दस जी के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे कबीर दस जी का जन्म कब और कंहा हुआ था कबीर दस जी के परिवार के बारे में और बहुत कुछ जो आप जानना पसंद करेंगे

Table of contents

1. कबीरदास  जयंती  कब मनाया जाता है ?

2. कबीरदास जयंती   कँहा  मनाया जाता ?

4. कबीरदास जयंती  के कई नाम

5.कबीरदास जयंती  के पौराणिक कथा

6.कबीरदास जयंती  का महत्व | 


                                    

                                                    


                                                                      संत कबीर दास 

                                    कबीरदास जयंती  कब मनाया जाता है

भारतवर्ष में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैंकबीरदास जयंती  उनमें  से एक  महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है | कबीरदास जयंती हर वर्ष  जेठ  माह के पूर्णिमा  को मनाया जाता है इस वर्ष २०२ में कबीरदास जयंती  22 जून   २०२4 को मनाया  जाना है कबीरदास जयंती  संत कबीरदास  के जन्म  दिवस के रूप में मनाया जाता है|  | इस वर्ष २०२ में कबीरदास  की ६४7  वी जयंती 22  जून  २०२4 को मनाया जायेगा |                                              

                                     

 

                                      कबीरदास जयंती   कँहा  मनाया जाता है

कबीरदास जयंती  पुरे भारतवर्ष में  मनाया जाता है खास कर उत्तर भारत में बहुत धूम धाम से  कबीरदास जयंती मनाते है |इसके आलावा नेपाल वर्मा भूटान इत्यादि देशों में भी बहुत  सादगी एवं धूम धाम से मनाया जाता है | विदेशों में रहने बाले भारतवासी अपने देशों में धूम धाम से  बीरदास जयंती मनाते है

 कबीरदास जयंती  का इतिहास  

कबीरदास जयंती  श्री संत कबीरदास   के जन्म दिवस के रूप में पुरे भारतवर्ष में  मनाया जाता है | पौराणिक मान्यता एवं इतिहासिक प्रमाण के अनुसार  भगवान श्री कबीरदास  का  जन्म  एक मुस्लिम परिवार में  १३९८  ई ० में  उत्तरप्रदेश के  लहरतारा  ताल ,काशी  में जून   माह के पूर्णिमा को  हुआ था | इनके माता पिता का नाम निरु एवं नीमा था |    कुछ लोगों के अनुसार इनका जन्म दिन  १४५५ ई ० के जून   माह के पूर्णिमा को  हुआ थाइनके जन्म के बारे में अलग अलग मत है | कबीरपंथ के अनुयायी मानते हैं की १३९८  के जून   माह के पूर्णिमा  के दिन को कबीर जी बाल रूप में निरु एवं नीमा  नाम के दम्पति को प्राप्त हुए थे  |  कबीर जी  प्रकट हुए थे ,इस कारण  इस दिन को कबीर प्रकट दिवस  या जयंती के रूप में मनाते हैं |     उनका  पालन पोषण   काशी  में हुआ  था काशी के गुरु रामानंद इनके गुरु थे |

  शादी

इनकी शादी ' लोई ' से हुई जिससे उनको एक पुत्र 'कमाल ' एवं एक पुत्री 'कमाली ' का जन्म हुआ | पारिवारिक होते हुए भी वे संत थे कबीर जी समाज सुधर के साथ साथ अपना पुस्तैनी कार्य करते थे ,लकिन  अपने आवश्यकता के पूर्ति करने भर ही काम करते

पठान पाठन

कबीरदास जी की औपचारिक पठान पाठन  नहीं हुआ,उनको  ज्ञान काशी के  गुरु रामानंद एवं  सत्संग से प्राप्त हुआ | जिंदगी के अनुभव से भी ज्ञान अर्जित किया | उन्हें  दिव्य ज्ञान प्राप्त था | अपने मौखिक उपदेशो से सभी बातें लोगों को बताई | वे खुद कहते थे      'मसि कागद छूयो नहीं,कलम गह्यो नहीं हाथ | 

                                                           चारिक जुग को महातम ,मुखहि जनाई बात | |  

कबीरदास को बचपन से भगवन  भक्ति   में मन लगता था कबीरदास के भगवान के प्रति लगाव के कारण गुरु रामानंद के परम प्रिय शिष्य बन गए थे | वे निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे  और एक ईश्वर को मानते थे | संत कबीर धर्मिक एकता के प्रतिक हैं | उनका जन्म मुस्लमान परिवार में हुआ ,परन्तु वे भगवान भक्त थे और गुरु रामानंद को गुरु मान लिया था गुरु रामानंद  विष्णु के उपासक थे ,कबीर जी भी  विष्णु के परम भक्त हो गए थे

कबीरदास  जी १५ वी सदी के रह्स्य्वादी कवि  थे,हिंदी साहित्य  के भक्तकालीन युग में भगवान के भक्ति के लिए भी प्रसिद्ध हुए | इनके विचारों ने हिन्दुओं के भक्ति आंदोलन को बहुत प्रभावित किया

कबीरदास जी सरल थे ,साधारण थे ,गृहस्थ जीवन में रहते हुए अलौकिक ज्ञान प्राप्त किया  | वे कहते थे  

'मैं कहता आँखिन देखी ,तू कहता कागद की लेखी | 

उन्होंने सरल भासा में दो टूक बात कही ,बिना अलंकार के ,जिस कारण उनके बातें ,उपदेश आज भी जन -जन को याद है एवं आज भी राह दिखता है | 

कबीरदास जी ने समाज मे प्रचलित गलत आदतों  कुरीतिओ को दूर करने का प्रयास  किया| उन्होंने धर्म एवं पूजा के नाम होने वाले गलत परंपरा का विरोध किया | उन्होंने समाज  के बुराइयों की निंदा किया और उसे खत्म करने का प्रयास  किया |  वे समाज सुधारक थे और समाज को ज्ञान का मार्ग दिखाया  | 

कबीरदास जी ने अपना ज्ञान कृति सबद ,सखी रमनि  जैसे सरल लोक भाषा से समाज को जागृत करने का प्रयास किया |  संत कबीर की  भाषा अवधि , सधुककर्डी  एवं पंचमली  का  मिश्रण है इनकी भाषा  में भारतवर्ष  के सभी बोलिओं  के शब्द मिल जाते हैं कबीर पंथी सरल तरीके से,आडंवरो  से दूर रहते हैं कबीरदास  के दोहे अभी भी समाज में प्रचलित है और प्रासंगिक हैं

 संत कबीर जी के शिष्यों ने उनके बाद उनके उपदेशो को  मुख्य  छह  ग्रन्थ ग्रंथो में कलमबंद किया ,लिखे |कुछ लोगों के अनुसार ग्रंथो की संख्या ७१ से ८४ के लगभग है |  

कबीर साखी 

कबीर बीजक 

कबीर शब्दावली 

कबीर दोहावली 

कबीर ग्रंथावली  

कबीर सागर 

कबीर जी समाज सुधर के साथ साथ अपना पुस्तैनी कार्य करते थे ,लकिन  अपने आवश्यकता के पूर्ति करने भर ही काम करते

कबीरदास के विचारों से प्रभावित होकर कबीर पंथ का  शुरुआत हुआ,जिसका मतलब है कबीर का पथ या रास्ता   | कबीर पंथकबीर के शिक्षाओ  के अनुसार एक संत मत और जीवन दर्शन है, जिससे मुक्ति  मिलती है |  कबीर पंथी कबीरदास को एक अलौकिक  पुरुष मानते है , और उनकी पूजा आडंवर रहित करते हैं कबीरदास के द्वारा बताए नियमों का पालन करते हैं और इनके शिक्षा का अनुसरण करते है  |  

संत कबीर ने  अपना पूरा जीवन काशी में समाज सुधार ,किया और ज्ञान की ज्योति जलाई परन्तु अंतिम समय में मगहर चले गये  और लगभग १५१८ में मगहर में ही अपनी  अंतिम सास ली

 

पौराणिक मान्यता है कि काशी में मरने के बाद स्वर्ग मिलता है , अपने कार्य से नहीं संत कबीर चाहते थे अपने कर्मो के कारण स्वर्ग जाये  अतः  संत कबीर ने  अपना पूरा जीवन काशी में समाज सुधार ,किया और ज्ञान की ज्योति जलाई परन्तु अंतिम समय में मगहर चले गये  और लगभग १५१८ में मगहर में ही अपनी  अंतिम सास ली  

कबीरदास  के अन्य नाम

कबीरदास को  इसके अलावा   संत कबीरदास, कबीर साहेबकबीरा  कहा जाता  हैं  |    

कबीर जयंती मनाने  की विधि

कबीर पंथी कबीरदास को एक अलौकिक  पुरुष मानते है , और उनकी पूजा आडंवर रहित करते हैं कबीरदास के द्वारा बताए नियमों का पालन करते हैं और इनके शिक्षा का अनुसरण करते है  |  

                                           कबीर जयंती की शुभकामनायें

                                        

FAQ 

Q: When Kabir  jayanti in 2024 ?

A: On 22nd  जून 2024  Kabir jayanti will be celeberated. 

 Q: कबीर जयंती 2024  में पूजा कैसे करें

A :  हर वर्ष  के तरह 2 ०२4 में भी  कबीर  जयंती के दिन उनकी पूजा आडंवर रहित करते हैं  

Q  : कबीर प्रकट दिवस  या जयंती क्या  है ?

A   :कबीर   जयंती को ही  कबीर प्रकट दिवस  या जयंती के रूप में मनाते हैं |  

 

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अस्वारीकरण  ( Disclaimer ) : यह लेख विभिन्न लेखो  पर आधरित है | बहुत प्रयास किया गया है की कोई गलती नहीं हो फिर भी अगर कोई त्रुटि हो सकती है | अतः आप अपने विवेक से काम लेते हुए ,इस लेख का इस्तमाल करें

आप अपना सुझाब और राय जरूर लिखे | धन्यवाद

 

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