२०२४ में तीज व्रत कब | सबसे महत्वपूर्ण व्रत सुहागिनों के लिए

 


२०२४ में  तीज व्रत कब |  सबसे महत्वपूर्ण व्रत सुहागिनों के लिए 

प्रस्तावना: 

इस लेख में हम  तीज व्रत  के विषय में बहुत कुछ जानेंगे |  तीज व्रत कब मनाया जाता है,इसका महत्व एवं बहुत कुछ | आने वाले पीढ़ी को भारतीए त्योहारों एवं अपने उत्सवों के विषय में जानकारी देना इस लेख का मूल उद्देश्य है | 

मूल शब्द :  

तीज व्रत कब | २०२४ | भारतवर्ष |  त्योहार | हरयाली तीज  

 विषयसूची :

 तीज कब मनाया जाता है

तीज कँहा  मनाया जाता है
तीज 
का इतिहास एवं पौराणिक कथा

तीज के  कई नाम

तीज का महत्व 

भगवान शिव 

                                                       

तीज कब है ?

तीज पंचाग के अनुसार भादो  माह के शुक्ल पक्छ के  तृतीया तिथि  को मनाया जाता है 

इस वर्ष २०२४ में तीज व्रत ६ सितम्बर को है | पंचाग के अनुसार भादो माह के शुक्ल पक्छ के  तृतीया तिथि ५  सितम्बर को दोपहर १२ बजकर २१ मिनट से  ६ सितम्बर को दोपहर ३ बजकर ०१  मिनट पर समाप्त होगा | ऐसे में उदया तिथि के आधार पर तीज व्रत  ६ सितम्बर को मनाया जायेगा |

हर व्रत की तरह इस में भी ५ एवं ६ सितम्बर के बीच संसय है | ऐसे में उदया तिथि के आधार पर तीज व्रत ६ सितम्बर को मनाया जायेगा | फिर भी स्थानीय रीती एवं दिन का अनुसरण करने की सलाह है | 

तीज व्रत पर इस वर्ष काफी शुभ योग है |

तीज कँहा मनाया जाता है?

तीज पुरे भारतवर्ष  में मनाया जाता है| उत्तर भारत के कई राज्यों में इसे बहुत धूमधाम  से मनाया जाता है| इसके आलावा भारतवासी जंहा कंही भी रहते है वंही मानते है | दक्छिन भारत के कई राज्यों में इसे  'गौरी हबाबा' के नाम से बहुत धूमधाम  से मनाया जाता है| 

 तीज के कई नाम ?

तीज के कई नाम है ,जिसमें 'हरतालिका तीज' एवं 'गौरी हबाबा' ज्यादा मशहूर है

तीज का इतिहास एवं पौराणिक कथा ?

पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी पार्वती के पिता उनकी शादी भगवान विष्णु से करवाना चाहते थे |  परन्तु देवी पार्वती भगवान शिव से शादी करना चाहती  थी | इसके लिए देवी पार्वती ने अपने सहेलिओ से अपना अपहरण करवा लिया| इसलिए इसका नाम हरतालिका ( हर= अपहरण एवं आलिका =सहेलिओ) पड़ा | सहेलिओ के साथ वे घोर जंगल में गयीं| घने जंगल में देवी पार्वती ने भगवान शिव से शादी करने के लिए घोर तपस्या की, इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती की इच्छा पूरी की | भगवान शिव के साथ देवी पार्वती का विवाह सम्पन हुआ | उसी समय से तीज व्रत शुरु हुआ | विवाहित महिला अपने सुखी दाम्पत्त्य जीवन के लिए व्रत करतीं है|  अविवाहित महिलायें मन पसंद के साथ शादी होने के लिए करती है |  

तीज व्रत करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है | इस कारण विवाहीत एवं अविवाहित महिलाएं इस निर्जला व्रत को करती है |    

तीज व्रत की पूजा विधि  

तीज व्रत के एक दिन पहले इस बार ५ तारीख को नहा कर खाना है, ६ तारीख को सूर्योदय के पहले रात ४ से ५ बजे तक अपने पसंद का खाना खा सकते है पानी पी सकते है| तीज व्रत के दिन सूर्योदय से पहले अन्न जल ग्रहण कर सकते है  जिससे दिन में भूख प्यास न लगे| इसे सरगही कहते हैं | ६ तारीख को प्रातः स्नान करके नया वस्त्र धारण कर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करना चाहिए |

अगर घर में पूजा स्थल नहीं है तो ,कमरे के एक कोने में एक छोटे पूजा के चौकी रखकर उसे धो ले | इस पर लाल कपड़ा बिछा कर मिट्टी से भगवान शिव के साथ देवी पार्वती एवं गौरी के मूर्ति बनाते हैं | उनके आगे दो बच्चों -श्री गणेश एवं श्री कार्तिक -के प्रतिमा बनाते है | सब प्रतिमाओ पर लाल वस्त्र अर्पित करते हैं |गणेश जी को  पीला वस्त्र अर्पित करते हैं | और पूजा शुरु करते हैं | भगवान शिव को बेलपत्र और  देवी पार्वती एवं गौरी को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करते हैं| फूल फल और मिष्ठान अर्पित करते हैं |खीरा एवं चना का खास महत्ब होता हैं इसे जरूर चढ़ाना है | द्रव्य अर्पित करते हैं |

इस दिन मेहंदी लगाने की परम्परा है | 

पुनः शाम को पूजा करते हैं |दूसरे दिन को सूर्योदय के वाद पूजा एवं आरती के  बाद पूजा सम्पन करें |भगवान की आराधना पूजा करना हैछमा याचना करते हुए व्रत का समापन करना है प्रसाद वितरण करने के बाद पारण करना है | पारण में लज़ीज़ एवं स्वादिस्ट भोजन बनता है | जिसे वर्ती के साथ साथ परिवार के सभी लोग खाते हैं | 

माँ को अर्पित श्रृंगार की सामग्री से कुछ रखना है,एवं अर्पित लाल वस्त्र से कुछ भाग अपने आंचल में बांध कर खना है|  

तीज व्रत के दिन  भीषण गर्मी रहती है,इस समय ठन्डे जगह पर आराम करते हुए भगवान की भक्ति में लीन रहने से प्यास कम लगता है |  दिन में असहनीय प्यास लगने पर जल से आचमन कर सकते है | पानी एवं दूध का सेवन अपवाद स्वरुप कर सकते है | अनाज किसी भी हाल में नही खाना है

 ब्राह्मणों एवं जरुरतमंदो को भोजन के बाद दक्छिना देने के बाद विदा करें | प्रतिमाओं को स्थानीय नदी में प्रवाहित करा देना है ,इस प्रतिज्ञा के साथ की माँ अगले बार फिर आपको बुलाएंगे | 

तीज व्रत का महत्व 

हिन्दू धर्म में तीज व्रत का बहुत महत्ब है | भगवान शिव,पार्वती की पूजा अर्चना की  जाती है तीज व्रत करने से पुण्य प्राप्त होता हैभगवान की कृपा विवाहित महिला अपने सुखी दाम्पत्त्य जीवन के साथ साथ दुनिया के सभी सुख प्राप्त करतीं है|अविवाहित महिलाओ को मन पसंद जीवन साथी के साथ शादी होती होती है और इस दुनिया के सभी सुख प्राप्त करती है| 

इस व्रत से सभी पाप का नाश होता है 

तीज व्रत में बाहर रहने वाले लोग ,बाहर काम करने वाले अपने  घर वापस आते हैं ,पुरे परिवार के साथ होली मना कर वापस लौटते है | इससे संबंध मजबूत होते है | 

तीज व्रत में  नए वस्त्र पहनने का रिवाज़ है | इससे कपड़े का बाजार में काफी चहल पहल रहती है | 

 पूजा के समान ,फल फूल और मिष्ठान की काफी बिक्री होती है | तीज व्रत में  व्यापार जगत में काफी मुनाफा होता है | 

इन्हें भी पढ़ें 

१. भगवान विष्णु के अन्य नाम भगवान विष्णु के अन्य नाम 

2.https://knowledge-festival.blogspot.com/2024/06/blog-post.html

अस्वीकरण :  इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार विभिन्न लेखों]संचार माध्यमों से लिए गए है और सभी सूचनाएँ मूल रुप से प्रस्तुत की गईं हैव्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार नहीं हैं तथा इसके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं हैमानवीय भूल ,टंकण भूल भी हो सकता है इसके लिए लेखक किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है|

 

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