saraswati Puja

 

सरस्वती पूजा के विषय में आज हम लोग जानकारी प्राप्त करेंगे

  ljLorh iwtk dc euk;k tkrk gSA ekW ljLorh dk tUeA ljLorh iwtk dk fof/k fo/kkuA ljLorh iwtk dk egRoA ljLorh iwtk vkSj dgkW euk;k tkrk gSaA ekyk] iqLrd vkSj oh.kk dk egRoA gal ,oa dey dk egRoA ihys jax dk egRoA

     बसंत पंचमी को मा?k पंचमी या श्री पंचमी के नाम से Hkh tkuk tkrk gS जो हिंदुओं का एक अति महत्वपूर्ण त्यौहार है A हर साल मा/k माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है A शास्त्रों से इस बात की जानकारी मिलती है कि मां सरस्वती का जन्म बसंत पंचमी के दिन ही हुआ थाaA इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती हैA यह पूजा पूरे भारतवर्ष में एवं अन्य देशों में भी बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है A इस दिन लोग पीले oL= पहनते हैंaA

 बसंत पंचमी का दिन बहुत शुभ होता है और bस दिन किसी भी नए कार्य को किसी भी समय शुरू किया जा सकता है क्योंकि उस दिन vcq> eqgqrZ रहता है इसका मतलब यह है कि कोई  भी काम  किसी भी वक्त fcuk iapkx देखे हुए प्रारंभ किया जा सकता हैA

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 ikSjkf.kd कथा के अनुसार l"`Vh के प्रारंभ में पितामह ब्रह्मा ने अपने संकल्प से ब्रह्म तथा उसमें सभी प्रकार के जगम स्थावj पेड़, पौधा, पशु, पक्षी की रचना की लेकिन चारों ओर ekSu छाया रहता थाA जिसके कारण ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं थेA rब ब्रह्मा जी ने श्री विष्णु की स्तुति की जिससे भगवान प्रकट हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी के संतुष्ट नहीं होने का कारण जानाAउन्होंने मूल प्रकृति आदिशक्ति दुर्गा माता का आवाहन किया मूल प्रकृति आदि शक्ति मां दुर्गा fnO; ज्योतिपुंज के रूप में प्रकट हो गईA तब ब्रह्मा एवं विष्णु जी ने इस संकट को दूर करने का निवेदन कियाA मूल प्रकृति आदि शक्ति मां दुर्गा ने  स्वयं के अंश से प्रचंड तेज उत्पन्न किया जो एकदम नारी के रूप में बदल गई A मूल प्रकृति आदिशक्ति मां दुर्गा के शरीर से उत्पन्न होते ही देवी ने  वीणा का मधुर नाn किया जिससे समस्त राग रागनियां संसार के समस्त जीव जंतुओं में प्राप्त हो गएA तब सभी देवताओं ने शब्द] ब्रह्म ज्ञान विद्या वाणी संगीत कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का uke fn;k Aश्री vkfn शक्ति मूल प्रकृति ने पितामह ब्रह्म से कहा कि मेरे तेज से उत्पन्न हुई यह देवी सरस्वती आपकी अर्धांगिनी शक्ति अर्थात पत्नी बनेगी जैसे लक्ष्मी जी विष्णु के शक्ति है] शिवा शिव की शक्ति है उसी प्रकार ls सरस्वती देवी आपकी शक्ति होगीA ऐसी उद्घोषणा कj मूल प्रकृति ज्योति स्वरूप आदिशक्ति मां दुर्गा अंतर्ध्यान हो गईA

 सरस्वती मां के वीणा वादन के प्रभाव से संसार के समस्त जीव जंतुओं में वाणी एवं जलधारा  कोलाहल करने लगीA मां सरस्वती चारभुजा वालh देवी हैं चारभुजा के कारण prqZHkqt देवी भी कहा जाता हैA इनके एक हाथ में किताब] एक में वीणा] एक हाथ में माला और एक हाथ वरदान देने की  मुद्रा में हैA मां शारदे के हाथ में पुस्तक जीवन में संदेश देता है कि बिना ज्ञान के जीवन में कुछ नहींA पुस्तकों का सम्मान करना जरूरी है और पुस्तकों के प्रति प्रेम करना भी जरूरी जिससे साहित्य और ज्ञान जिज्ञासा बढ़ाने में मnn होती हैA वीणा कला] संगीत ज्ञान को प्रदर्शित करता है हमें कला के प्रति जागरूक करता है और जीवन में रस] सरलता और rkjE;rk को लाता हैAस्फटिक की माला एकाग्रता और ध्यान का का प्रतीक माना जाता है] और बार-बार अभ्यास करने को प्रेरित करता हैA कोई भी ज्ञान तब तक स्थिर नहीं रहता जब तक  बार बार अभ्यास नहीं किया जा;sA  सरस्वती मां का वाहन हंस है] जो सफेद होता हैA इसमें दूध और पानी को अलग करने की शक्ति होती है यह हमें सही और गलत में फर्क करना बताता है और सही मार्ग पर चलने को प्रेरित करता हैA हंस सुंदर ,oa मधुर स्वर का प्रतीक हैA कमल मां सरस्वती को बहुत पसंद है] यह बताता है कि कमल भले ही कीचड़ में पैदा हुआ है लेकिन वह बेदाग jgrk gSA हमें प्रेरित करता है कि हमें अपनी छवि को बेदाग रखना चाहिए

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मां सरस्वती के 108 नाम है जिसमें ज्यादातर बागेश्वरी] भगवती शारदा] वाग्देवी वीणावादिनी संगीत के देवी dk iz;ksx fd;k जाता हैAकई शास्त्रों में इन्हें मुरारी बललभा विष्णु पत्नी कह कर भी संबोधित किया गया gSA वीणा वादिनी मां शारदा का स्वरूप साैमय हैA मां शारदा का सुप्रसिद्ध मंदिर मैहर में स्थित है जो मध्य प्रदेश में स्थित हैA 



 सरस्वती पूजा करने की विधि

  त्रिदेवियां मां दुर्गा] मां लक्ष्मी और मां सरस्वती हैA माता सरस्वती की पूजा देश में कम होती है] और उनके मंदिर भी बहुत कम ही पाए जाते हैंA   स्कंद पुराण के अनुसार सफेद पुष्प चंदन] श्वेत वस्त्र से देवी की पूजा करनी चाहिएA देवी की पूजा विधि विधान से करनी चाहिएAशरद काल में उत्पन्न कमल के समान मुख वाली और सब मनोरथ देने वाली मां शारदा समय समृद्धियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें ऐसा मन में ध्यान कर मां सरस्वती का आराधना करना चाहिए Aविधि पूर्वक पूजा करने से oq)h एवं विद्k का वरदान मिलता हैaaA इस दिन छोटे छोटे बच्चों को पहली बार किताब और कyम पकड़ा कर  वि)k का zkEHk  करना शुभ माना जाता हैA वि);k की देवी होने के कारण यह पूजा खासकर विद्यार्थी  समुदाय में अति उत्साह के साथ मनाया जाता है A यह पूजा स्कूल] कॉलेज ,oa कोचिंग इंस्टिट्यूट में cgqr उत्साह के साथ मनाया जाता हैA  हिंदू परंपरा में पीले रंग को बहुत शुभ माना जाता हैAइसलिए इस दिन पीले कपड़े पहने का रिवाज हैA य समृद्धि ऊर्जा और उस्मा का प्रतीक हैAपीले रंग को बसंती रंग भी कहा जाता हैA भारत में विवाह मुंडन आदि के निमंत्रण पत्रों और पूजा के कपड़े नए श्वेत वस्त्र को पीले रंग से रंगा जाता है] श्वेत वस्त्र पर कम से कम पीले रंग हल्दी का छीटा भी दिया जाता हैA होली जो भारतवर्ष का एक सबसे बड़ा पर्व हैA इसकी शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से ही हो जाती हैA इस दिन लोग एक दूसरे को गुलाल अबीर लगाते हैं और बसंत पंचमी की बधाई देते देते हैंA खानपान बिना कोई भी भारतीय त्योहार अधूरा हैA इस दिन भी मिठाइयां और पकवान बनाए जाते हैंA कई जगहों पर बसंत पंचमी का मेला भी लगता हैA मां शारदा हमेशा श्वेत वस्त्र धारण करती हैं जो शांति और शादी का प्रतीक माना जाता हैA विद्या अध्ययन करने वाले लोगों को शांति और सादगी के साथ रहने को प्रेरित करती हैंA

 अन्य धर्मों में सरस्वती पूजा

  वैदिक सनातन,जैन एवं बौद्ध धर्मों में मां सरस्वती का महत्वपूर्ण स्थान है और इनकी पूजा की जाती हैA जैन धर्म में जेष्ठ मास के शुक्ल पंचमी को  जैन ज्ञान पंचमी या श्रुतू पंचमी भी कहते हैंA उस दिन से श्रुतू देवी  एवं शास्त्रों की विधिवत पूजा का विधान दिगंबर जैनै  में हैA जबकि श्वेतांबर जैन कार्तिक मास के शुक्ल पंचमी को श्रुतू देवी की पूजा अर्चना करते हैंA बौद्ध धर्म में भी मां सरस्वती आदिशक्ति काे आदिनाम से जाना जाता हैA सरस्वती देवी या श्रुतू देवी  की सबसे पुरानी प्रतिमा  कालटीले मथुरा में प्राप्त हुआ जो 132 ईसवी की हैA इसके अलावे भी  प्रतिमाएं  प्राप्त हुई हैंA आंध्र प्रदेश में माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पूजा विद्यारंभ पर्व के नाम से जानी जाती हैA

इसके अलावा अनेक देशों में विभिन्न नामों से इनकी पूजा-अर्चना की जाती हैA उदाहरण के लिए जापान में मॉ सरस्वती को बेंजातेन कहतें हैइनके  हाथ में एक संगीत बाद्ध हैA उन्हें ज्ञान संगीत तथा प्रवाहित होने वाली वस्तुओं की देवी के रूप में पूजित किया जाता हैA दक्षिण एशिया के देशों के अलावा थाईलैंड, इंडोनेशिया, चीन, जापान, वर्मा एवं अन्य देशों में भी सरस्वती मां की पूजा की जाती हैA

 मां सरस्वती के पूजा आराधना का प्रभाव

 मां सरस्वती के विधिवत पूजा करने का करने से ज्ञान बुद्धि और विलक्षण प्रतिभाओं का को प्राप्त किया जा सकता हैA मां सरस्वती के तीन ऐसे भक्त रहे हैं, जो पहले मंद एवं अल्प बुद्धि के थे, परंतु मां सरस्वती की आराधना के फल स्वरुप प्राप्त वरदान से वह विद्वानों की श्रेणी में प्रथम आते हैंA 

नंबर 1 कालिदास महाकवि जिन्होंने अभिज्ञान शकुंतलम, मेघदूतम इत्यादि काल जई रचनाएं कीA 

नंबर दो वरदराज वे संस्कृत व्याकरण के महापंडित हुएA वरदराज महापंडित  भदोही दीक्षित के शिष्य थे, और उनके पुस्तक को आधार मानकर इन्होंने मध्य सिद्धांत कौमुदी, लघु सिद्धांत कौमुदी सार कौमुदी एवं अन्य ग्रंथ रचेA

 नंबर बोपदेव व्याकरण विद्वान एवं ग्रंथाकार थेA इनका प्रसिद्ध ग्रंथ कल्पद्रुम है A वे देवगिरी में यादव राजा के दरबार के मान्य विद्वान थेA ये उदाहरण है जिससे पता चलता है कि मां सरस्वती की आराधना सच्चे मन से करने पर कोई भी व्यक्ति उच्च श्रेणी का विद्वान हो सकता हैA

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ckgjh dfM;kW 1] m.jagran.com/blogs/religious

            2] blogs.liit.ac.in.monthly news.sar

                   3. www.jansata.in

                   4.en.m.wikipedia.org

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