कब है गुरु पूर्णिमा 2023 | Guru Purnima 2023
गुरु पूर्णिमा 2023 | Guru Purnima 2023
Table of contents
1. गुरु पूर्णिमा कब मनाया जाता है
2.गुरु पूर्णिमा कँहा मनाया जाता है
3.गुरु पूर्णिमा का इतिहास
4. गुरु पूर्णिमा कई नाम
5.गुरु पूर्णिमा के पौराणिक कथा
6. गुरु पूर्णिमा का महत्व
प्रस्तावना : गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म संस्कृति है | गुरु पूर्णिमा को गुरु पूजन का विधान है | इस दिन गुरु को सम्मान देने ,अपने कृतज्ञता प्रदर्शित किया जाता है |
गुरु पूर्णिमा वेद व्यास के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है आसाढ़ माह के पूर्णिमा के दिन लगभग 5000 ईसा पूर्व वेद व्यास जी का जन्म हुआ था |
गुरु पूर्णिमा कब मनाया जाता है
भारतवर्ष में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं | गुरु पूर्णिमा का त्योहार उनमें बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है | गुरु पूर्णिमा का त्योहार हर वर्ष आसाढ़ माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है | इस वर्ष २०२३ में गुरु पूर्णिमा ३ जून २०२३ को मनाया जाना है | हिन्दू पंचांग के अनुसार ०३ जुलाई २०२३ को गुरु पूर्णिमा मनाया जायेगा |
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| गुरु शिष्यों के साथ A teacher in class |
गौतम बुद्ध ने इसी दिन अपना पहला प्रवचन दिया था , जिसके कारण बौद्ध धर्मालम्बी इस दिन को मनाते है |पौराणिक मान्यतों के अनुसार वेद व्यास जी को भगवान विष्णु का अंश मानते हैं | वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान् थे | उन्होंने चारों वेदों की रचना की ,इसके अलावा कई ग्रंथो के रचना की |
गुरु पूर्णिमा पुरे भारतवर्ष में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है | इसके आलावा नेपाल,श्रीलंका ,वर्मा ,भूटान, इंडोनेशिया इत्यादि देशों में भी बहुत धूम धाम से मनाया जाता है | इसे हिन्दू,जैन,बौद्ध धर्मालम्बी मनाते है|
विदेशों में रहने बाले भारतवासी अपने अपने देशों में धूम धाम से मनाते है | विश्व भर से लोग इस दिन अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करते है |
गुरु पूर्णिमा कई नाम
गुरु पूर्णिमा के कई नाम है | इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है |गुरु पूर्णिमा वेद व्यास के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है आसाढ़ माह के पूर्णिमा के दिन लगभग 5000 ईसा पूर्व वेद व्यास जी का जन्म हुआ था |
गुरु पूर्णिमा कैसे मनाते है
गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म महूर्त में तैयार होकर लाल,पीला या भगवा वस्त्र धारण कर विष्णु भगवान का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प कर पूजा करना चाहिए | पूजा की चौकी पर नया लाल/पीला आसनी बिछा कर विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर तुलसी ,गंध ,फूल,माला ,अछत,चन्दन,प्रसाद चढ़ा कर पूजा की जाती है | घी के दिप जला केर आरती के जाती है | पूजा के बाद छमा याचना कर पूजा समाप्त कि जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है |
गुरु पूर्णिमा को भोजन वस्त्र इत्यादि दान दिया जाता है | इस दिन किए गए दान पुण्य का बहुत महत्वपूर्ण होता है |
सामाजिक एवं व्यपारिक महत्व
भारतवर्ष में त्योहार में स्वादिस्ट पकवान बनाने खाने खिलाने का परंपरा है | गुरु पूर्णिमा में अपने परिवार और दोस्तों के साथ खाने का रिवाज़ है | गुरु पूर्णिमा में भी खाने ,पीने और मिष्ठान की काफी बिक्री होती है | इससे व्यापार जगत में काफी मुनाफा होता है |
गुरु पूर्णिमा में बाहर रहने वाले लोग ,बाहर काम करने वाले अपने घर वापस आते हैं ,पुरे परिवार के साथ गुरु पूर्णिमा मना कर वापस लौटते है | इससे संबंध मजबूत होते है |

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